फाइटर जेट इंजन: अब भारत बनेगा आत्मनिर्भर

फाइटर जेट इंजन
फाइटर जेट इंजन

फाइटर जेट इंजन बनाएगा भारत, हाल ही में सरकार और रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) स्पष्ट कर दिया कि आने वाले वर्षों में अपने देश को स्वदेशी फाइटर जेट इंजन की आवश्यकता है। यहीं कारण है कि Advance Medium Combat Aircraft  (AMCA) जैसे प्रोजेक्ट को मजबूत बनाने के लिए भारत ने विदेशी कंपनियों से तकनीकी सहयोग तो लिया है, लेकिन लक्ष्य यही है कि इंजन का निर्माण देश में ही हो। भारत आज उन देशों के कतार में खड़ा है जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता (Self–Reliance) की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

 

फाइटर जेट इंजन क्यों जरूरी है!

आज के आधुनिक युद्धों में फाइटर जेट किसी भी देश के सैन्य ताकत का आधार होते हैं। एक साधारण जेट और एक सुपरसोनिक स्टील्थ फाइटर के बीच असली फर्क इंजन से ही तय होता है। इंजन ही तय करता है कि जेट कितनी स्पीड, ऊँचाई और हथियार क्षमता हासिल कर सकता है।

बेहतर इंजन जेट को सुपरसोनिक क्रूज़, स्टील्थ मूवमेंट और लंबी दूरी की उड़ान की क्षमता देता है।
भारत अब तक रूस, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों से इंजनों पर निर्भर रहा है। उदाहरण के लिए, सुखोई-30MKI रूस के AL-31FP इंजन से चलता है और राफेल जेट फ्रांस के M88 इंजन से। लेकिन इतनी भारी निर्भरता रणनीतिक रूप से खतरनाक है। किसी भी आपातकालीन स्थिति या युद्ध के समय अगर सप्लाई चेन बाधित हो जाए तो देश की रक्षा क्षमता पर गहरा असर पड़ सकता है।

AMCA प्रोजेक्ट और इंजन विकास

भारत ने अपने 5th Generation Fighter Jet प्रोग्राम Advanced Medium Combat Aircraft (AMCA) को लेकर बड़ी महत्वाकांक्षा दिखाई है। यह जेट भारत में डिजाइन और विकसित किया जा रहा है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी चुनौती पावरफुल इंजन है।
भारत ने फ्रांस की Safran कंपनी के साथ मिलकर एक समझौता किया है, जिसके तहत भारत में ही इंजन निर्माण और तकनीकी ट्रांसफर की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

DRDO और HAL (Hindustan Aeronautics Limited) को इसमें मुख्य भूमिका दी गई है।
लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में 110 kN से अधिक थ्रस्ट देने वाला इंजन तैयार किया जाए, जो AMCA और भविष्य के लड़ाकू विमानों में लगाया जा सके।

फाइटर जेट इंजन स्वदेशीकरण की चुनौती।

भारत ने पहले भी इंजन बनाने की कोशिश की है। DRDO का कावेरी इंजन प्रोजेक्ट इसी दिशा में एक बड़ा प्रयोग था।

कावेरी इंजन को LCA तेजस के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन इसमें लगातार टेक्निकल दिक्कतें आईं—जैसे कि थ्रस्ट कम होना और हाई-टेम्परेचर पार्ट्स में असफलता।
इन खामियों के कारण कावेरी इंजन को तेजस में इस्तेमाल नहीं किया जा सका। लेकिन इस असफलता ने भारत को मूल्यवान अनुभव दिया और अब यही अनुभव AMCA इंजन प्रोजेक्ट की रीढ़ साबित होगा।


तकनीकी जटिलताएँ

फाइटर जेट इंजन का निर्माण सामान्य इंजन से कहीं अधिक जटिल है। इसमें कई महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं:

1. सुपर-क्रूज़ क्षमता – इंजन ऐसा होना चाहिए कि जेट बिना afterburner के भी सुपरसोनिक स्पीड पर उड़ सके।
2. उच्च तापमान सहनशीलता – इंजन के पार्ट्स को 1500 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान झेलने होते हैं। इसके लिए advanced alloys और ceramic coatings चाहिए।
3. फ्यूल एफिशिएंसी – लंबी दूरी की उड़ानों के लिए कम ईंधन में ज्यादा पावर देना जरूरी है।
4. स्टील्थ डिज़ाइन – इंजन का शोर और हीट सिग्नेचर इतना कम हो कि राडार और इंफ्रारेड सिस्टम उसे पकड़ न पाए।

रणनीतिक महत्व

फाइटर जेट इंजन का विकास केवल तकनीकी नहीं बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भारत अगर अपना इंजन बनाने में सफल हो जाता है तो वह अमेरिका, रूस, चीन और फ्रांस जैसे देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।

इससे न केवल हमारी वायुसेना मजबूत होगी बल्कि भविष्य में भारत अपने इंजन और जेट्स को अन्य देशों को निर्यात (Export) भी कर सकेगा।

इससे रक्षा क्षेत्र में रोज़गार और इंडस्ट्री ग्रोथ को भी बड़ा लाभ मिलेगा।

सरकार और उद्योग का सहयोग

भारत सरकार ने हाल के बजट में रक्षा अनुसंधान और आत्मनिर्भर भारत के लिए बड़े फंड्स जारी किए हैं।
DRDO, HAL, और निजी कंपनियों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।

“Make in India – Defence” के तहत विदेशी कंपनियों को भारत में उत्पादन इकाइयाँ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। और साथ ही, IITs और अन्य तकनीकी संस्थानों को रिसर्च और डेवलपमेंट में जोड़ा जा रहा है।

 


Discover more from TechJaya

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

Discover more from TechJaya

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading